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क्यों सभी देवताओ में सिर्फ शनिदेव की त्वचा का रंग ही है काला ? जानिए वजह...

Jan 12 2019

Posted By:  Sandeep

शनिदेव को देवताओ में श्रेष्ठ माना जाता है | देवताओ में रहकर भी देवो के समान इनका आचरण ना करना इन्हे देवताओ में अलग ही स्थान देता है | शनिदेव को हिन्दू धर्म में कर्मफल दाता भी कहा जाता है | आज हम आपको बताने वाले है की सूर्यपुत्र शनिदेव का जन्म कैसे हुआ है और शनिदेव की त्वचा का रंग काला क्यों है | आईये शनिदेव को निकट से जाने...


भगवान सूर्य का विवाह 
प्राचीन काल में महर्षि कश्यप नामक महान ऋषि हुआ करते थे | उनका विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री अदिति के साथ हुआ था | कुछ समय बाद ही अदिति ने सूर्य को जन्म दिया | इसलिए महर्षि कश्यप भगवान सूर्य के पिता भी कहे जाते है | जब सूर्य भगवान बड़े हुए तो महर्षि कश्यप ने उनका विवाह त्वष्टा की पुत्री संज्ञा से करवा दिया | ऐसा कहा जता है की सूर्य व संज्ञा के संयोग से वैवस्वत मनु, यम तथा यमुना नाम की कन्या का जन्म हुआ | 

संज्ञा को सूर्यदेव का तेज पसंद नहीं था | यह तेज इतना अधिक था की संज्ञा उसे सहन नहीं कर पाती थी | इसलिए उसने किसी तरह इस समस्या से बचने का उपाय सोचा | उसने अपने ही शक्ल की लड़की का निर्माण किया | जिसका नाम सवर्णा या छाया रखा | संज्ञा ने सवर्णा को आदेश दिया की वह जीवनभर भगवान सूर्य की जीवनसंगिनी बनकर रहे और उसके बच्चो का पालन-पोषण करे | यह कहकर संज्ञा अपने पिता के घर चली आई | 

संज्ञा का यह व्यवहार पिता त्वष्टा को उचित नहीं लगा और उन्होंने संज्ञा को पुनः सूर्य के पास जाने का आदेश दिया | लेकिन संज्ञा यह नहीं चाहती थी | वह किसी भी कीमत पर सूर्य के तेज का सामना करना नहीं चाहती थी | इसलिए उसने एक घोड़ी का रूप धारण किया और गंगा-यमुना-ब्रह्मपुत्र के विशाल मैदानों के पास आ गई और वहीँ रहकर अपना जीवन यापन करने लगी | इन सब में काफी वर्ष बीत गए | सूर्यलोक में संज्ञा के तीनो बच्चे बड़े हो चुके थे |



यम को मिला शाप 
कालान्तर में सवर्णा के गर्भ से भी सावर्णि मनु, शनि और ताप्ती ( भद्रा ) का जन्म हुआ | सवर्णा अर्थात संज्ञा की छाया शनि से बहुत स्नेह करती थी | उसे सबसे अच्छा पुत्र शनि ही लगता था | वह असली संज्ञा के पुत्रो और पुत्री से कम स्नेह करती थी | एक बार बालक यम ने खेल-खेल में छाया को अपना चरण दिखा दिया | यम के इस आचरण से संवर्णा काफी क्रोधित हो गयी | क्रोध में आकर उसने यम को चरण हीन होने का शाप दे दिया | यम यह सुनकर काफी डर गया | वह दौड़कर पिता के पास गया | सूर्य ने इस शाप का तोड़ बता दिया और संवर्णा से ऐसा करने का कारण पूछा | 

सूर्य के क्रोध को देखकर संवर्णा काफी डर गयी और उसने सारा सच उगल दिया | सूर्य यह सुनकर आग-बबूला हो गए | जब सूर्य संज्ञा को लाने उनके ससुराल गए तो उन्हें वास्तविकता का पता चला | ऐसा कहा जाता है की अपने ससुर के कहने पर सूर्य ने अपना तेज कम किया | देवताओ के शिल्पकार विश्वकर्मा ने सूर्य को कांट-छांट कर कम तेजस्वी बना दिया | सूर्य के इसी तेज से विश्वकर्मा ने सुदर्शन चक्र का निर्माण किया | ऐसा कहा जाता है की ऐसा उस समय कोई भी नहीं था जो सुदर्शन चक्र को धारण कर सके | इसलिए सुदर्शन चक्र को धारण करने का अवसर विष्णु जी को मिला |

शनि का जन्म 
कई धर्म ग्रंथो में यह भी कहा गया है की एक समय महर्षि कश्यप यज्ञ कर रहे थे | उनके समीप ही सवर्णा बैठी हुई थी | उस यज्ञ के तेज का प्रभाव सवर्णा के गर्भ में पल रहे शनि पर पड़ा | जिससे उसका सारा शरीर काला पड़ गया | यज्ञ का प्रभाव शनि पर इतना हुआ की उसे कई शक्तियां प्राप्त हो गयी | जब शनि का जन्म हुआ तो सूर्य ने सवर्णा पर यह आरोप लगया की यह किसी और का पुत्र है |


इससे शनि को क्रोध आ गया और उसने सूर्य की ओर क्रोध में देखा तो सूर्य भी काले पड़ गए | भगवान शंकर के आशीर्वाद से सूर्य ने अपना तेज वापस पा लिया | ऐसा माना जाता है की आज भी शनि और सूर्य आपस में शत्रु है | शनि को सूर्य भगवान का विद्रोही पुत्र कहा जाता है | जब शनि किसी की ओर टेढ़ी नजर कर देख लेते है तो व्यक्ति के जीवन का नाश हो जाता है | 
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